>हनुमान तो सबके भीतर है, जगाने वाले जामवंत की आवश्यकता है।


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“उस युग के जामवंत”
“इस युग के जामवंत”
हनुमान तो सबके भीतर है,

जगाने वाले जामवंत की आवश्यकता है।