संकल्पों के दीप जलाता कदम बढ़ाता चल,
वक्ष दबे बारूदों से खुद राह बनाता चल।
– प्रकाश ‘पंकज’
ये बारूद जो सुलग रहे हैं हम जैसों के भीतर, न जाने कब फूटेंगे,
फूटेंगे भी या फिर बस फुसफुसा कर ही रह जाएँगे – ये भी किसे पता?
… कोई बात नहीं,
आज तो कम से कम कुछ कानफोड़ू धमाके कर के बहरों को सुना देने का भ्रम और मजबूत कर लें!
शुभ पटाखोत्सव! 😉
शुभ दीपोत्सव!
आपको और आपके परिवार को प्रकाश-पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !
ऐसा दिया जलाएँ मन में, जग उजियारा होए!
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