>वाह रे ग्लोबलाईजेशन ! तूने घरवालों को भी बेघर कर दिया


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वाह रे ग्लोबलाईजेशन !
तूने घरवालों को भी बेघर कर दिया।
सभी खानाबदोश जैसे इधर-उधर भाग रहे हैं;
शायद उन्हें भी पता नहीं, क्यों?

– प्रकाश ‘पंकज’

 * चित्र: गूगल साभार