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चलो लोकतंत्र की लाश पर जलसा किया जाये
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कमाने की तड़प में खाना भूल गए?
….. और कमाने की तड़प में खाना भूल गए – प्रकाश ‘पंकज’
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फुलझड़ियों को आग लगाने से क्या होगा आज? बताओ !
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भारत बनाम भ्रष्टाचार: छोड़ो गाना शब्द प्रलापी
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भारत बनाम भ्रष्टाचार: ‘Thug’ की जननी भारतभूमि
>भारत बनाम भ्रष्टाचार: जनता भींगेगी या बरसेगी?
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>कभी न पूरी हो सकने वाली जिद्द
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>वाह रे ग्लोबलाईजेशन ! तूने घरवालों को भी बेघर कर दिया
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वाह रे ग्लोबलाईजेशन !
तूने घरवालों को भी बेघर कर दिया।
सभी खानाबदोश जैसे इधर-उधर भाग रहे हैं;
शायद उन्हें भी पता नहीं, क्यों?
– प्रकाश ‘पंकज’
* चित्र: गूगल साभार
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>हनुमान तो सबके भीतर है, जगाने वाले जामवंत की आवश्यकता है।
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सम्मान पाने के लिए सम्मान देना सीखें
यदि आप मुझसे बड़े होने का दम्भ भरते हैं,
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अंगद सा हमने पद रोपा
सन्दर्भ: अंगद की आस्था और विश्वास
http://www.youtube.com/v/V2wzo8jBRok?fs=1&hl=en_US&color1=0xe1600f&color2=0xfebd01
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वो क्या थी नभ की छत – प्रकाश ‘पंकज’
वो क्या थी नभ की छत?
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"बाल मजदूरी कानून".. किसका अभिशाप? किसका वरदान?
अगर कोई होटल-ढाबे वाला किसी को जीविका देने के लिए “बाल-मजदूरी” करवाने का दोषी हो सकता है तो आज हम सारे लोग जो बड़े मजे से टी.वी. के सामने ठहाके मारते हैं, वाह-वाह करते है, मेरी नज़र में वो सब दोषी हैं “बाल-मजदूरी” करवाने के।
… और मुझे यह भी मालूम है कि अकेले सिर्फ मेरे मानने से भी कुछ नहीं होने को है।
चलता हूँ और आपके लिए कुछ लिंक छोड़ जाता हूँ। धन्यवाद!
*चित्र: गूगल साभार
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‘पंकज-पत्र’ पर पंकज की कुछ कविताएँ: प्रतिकार
‘पंकज-पत्र’ पर पंकज की कुछ कविताएँ: प्रतिकार
अनुच्छेद।।३।। गिलानी, अरुंधती जैसे अन्य देशद्रोहियों या राष्ट्र-विरोधियों के लिए जो देश की अखंडता पर चोट करते हैं।
कविता का पता (जरूर पढ़ें): ‘पंकज-पत्र’ पर पंकज की कुछ कविताएँ: प्रतिकार
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मुझे हर चीज़ में डंडा करने की बुरी आदत है
मुझे हर चीज़ में डंडा करने की बुरी आदत है।
मैं सोंचता हूँ,
डंडे से तो कुछ बदला नहीं,
अबकी बाँस उठाकर कोशिश करूँ।
*चित्र: गूगल साभार
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संकल्पों के दीप जलाता कदम बढ़ाता चल
संकल्पों के दीप जलाता कदम बढ़ाता चल,
वक्ष दबे बारूदों से खुद राह बनाता चल।
– प्रकाश ‘पंकज’
ये बारूद जो सुलग रहे हैं हम जैसों के भीतर, न जाने कब फूटेंगे,
फूटेंगे भी या फिर बस फुसफुसा कर ही रह जाएँगे – ये भी किसे पता?
… कोई बात नहीं,
आज तो कम से कम कुछ कानफोड़ू धमाके कर के बहरों को सुना देने का भ्रम और मजबूत कर लें!
शुभ पटाखोत्सव! 😉
शुभ दीपोत्सव!
आपको और आपके परिवार को प्रकाश-पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !
ऐसा दिया जलाएँ मन में, जग उजियारा होए!
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जीना एक आडम्बर साला मरना भी पाखंड !
जीना एक आडम्बर साला
मरना भी पाखंड !
– प्रकाश ‘पंकज’
चित्र: गूगल देव साभार
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फिर भी न जाने कैसे हम निर्लज्जों को राष्ट्र पर गर्व है
हमारे हिन्दुस्तान में
हिन्दी कम जानना या नहीं जानना बड़े गर्व की बात है,
पर अंग्रेजी कम जानना एक शर्म की बात है
और अंग्रेजी नहीं जानना डूब मरने की बात है।
… फिर भी न जाने कैसे हम निर्लज्जों को राष्ट्र पर गर्व है
– प्रकाश ‘पंकज’
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भरत-पुत्रों की चेतावनी
– प्रकाश ‘पंकज’
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